भावार्थ – अपने तेज [शक्ति, पराक्रम, प्रभाव, पौरुष और बल] – के वेग को स्वयं आप ही सँभाल सकते हैं। आपके एक हुंकारमात्र से तीनों लोक काँप उठते हैं। सोई अमित जीवन फल पावै ॥२८॥ चारों जुग परताप तुह्मारा । व्याख्या – जो मन से सोचते हैं वही वाणी से https://wendellj295rtx6.wikikali.com/user